कालरात्रिनी वात निराली, सतमी सजक्ति छे दुर्गानी
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कालरात्रिनी वात निराली,
सतमी सजक्ति छे दुर्गानी (२)
कालो रंग छे जाणे अंधकार, वांकडिया विखरायेला वाल;
गलामा माला चमकनारी,
कालरात्रिनी वात निराली.......१
श्वासोच्छवासमा अग्निज्वाला, त्रण नेत्रे विजली चमकारा,
सवारी गर्दभनी करवावाली,
कालरात्रिनी वात निराली........२
वर मुद्राथी वर करे प्रदान, अभय मुद्राथी अभय दान;
कालरात्रि मा कटारवाली,
कालरात्रिनी वात निराली......३
सतमा नोरते पूजन थाय, भुत-प्रेत सौ भागी जाय;
' गगजी 'ने अभय करनारी, कालरात्रिनी वात निराली........४
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